किन्नर से प्यार भाग - 22




कहानी _ **किन्नर का प्यार **

भाग _ 22

लेखक _ श्याम कुंवर भारती

अपनी बेटी के ऑपरेशन के लिए सुनंदा के पापा काफी हाथ पैर मार रहे थे ।उन्होंने अपने ऑफिस में अपने पीएफ के एडवांस के लिए भी आवेदन दिया लेकिन वो स्वीकृत नहीं हुआ ।बैंक ने उनकी सैलरी के हिसाब से ढाई लाख ही लॉन देने को तैयार थे ।
ढाई लाख उनके पास पहले से थे और बैंक से ढाई लाख मिलने पर कुल पांच लाख हो जाते ।इससे पहले भाग का ऑपरेशन तो हो जाता लेकिन दूसरे भाग का ऑपरेशन कैसे होगा जो तीसरे महीने ही करवाना पड़ेगा वर्ना कोई फायदा नही होगा।उसके लिए कुल दस लाख रुपए लगेंगे।
इतना सारा रूपया कहा से आएगा ।इसी बात की चिंता उसके माता _पिता को दिन रात खाए जा रही थी खाए जा रही थी।
वे दोनो अपने बेटी के भविष्य सुधारने के लिए अपने सभी खर्चा में कटौती करने लगे ।बाकी खर्चा तो कम किया जा सकता था लेकिन सुनंदा की पढ़ाई लिखाई का खर्चा कम नहीं किया जा सकता था।काफी महंगी पढ़ाई थी उसकी ।लेकिन इसके उज्जवल भविष्य के लिए वे दोनो उसकी पढ़ाई के खर्चे में कोई कमी नही करना चाहते थे। चाहे उसके लिए उन्हें अपना खून जी क्यों न बेचना पड़े।बेटी पढ़ लिख जायेगी तो अपनी शारीरिक कमजोरी के बाद भी अपने पैरो पर खड़ी हो सकेगी।
इसलिए दोनो पाई पाई जोड़ कर बैंक में जमा कर रहे थे।इसके बाद भी दोनो ध्यान रखते थे की उनकी बेटी को किसी तरह की कोई कमी न होने पाए।
इन्ही जोड़ तोड़ में समय बीतता चला गया।
राहुल ने कई बार कोशिश किया लेकिन सुनंदा ने उससे बात करना ही छोड़ दिया था. उसे उसके और उसकी मां का रुखा और उपेक्षित व्यवहार उसके मुसीबत के समय बहुत खला था।इससे उसका दिल छलनी छलनी हो गया था । कम से कम राहुल से उसे ऐसी उम्मीद नहीं थी ।फिर भी उसने उसके साथ गैरो जैसा व्यवहार किया था।
इसलिए उसने अपना सारा ध्यान हटाकर अपनी पढ़ाई में लगा दिया थे।फिर भी उसके दिल में राहुल की लेकर एक कसक सी उठती थी।
उसे उसके साथ गुजारे पल बहुत याद आते थे।उसे जब भी उसकी याद आती थी वो तड़प उठती थी।
प्रवेश और उसके पिता की तरफ से विवाह का दबाव बनता जा रहा था।उनका कहना था जब वो उसे इसी हाल में अपनाने को तैयार है तो फिर इंतजार किस बात का है ।
लेकिन उसका कहना था मैं किसी का कोई एहसान नहीं लेना चाहती । जबतक उसकी पढ़ाई पूरी नही हो जाती और उसका ऑपरेशन नही हो जाता मैं अपने विवाह के बारे में सोच भी नही सकती।आप दोनो का बहुत एहसान है मुझ पर लेकिन अभी इस विषय पर कोई बात नही कर सकती ।कृपया मेरी बात का कोई अन्यथा न लें 
प्रवेश के पापा को जब लता चला दस लाख रूपए के चलते सुनंदा का ऑपरेशन नही हो पा रहा है तो उन्होंने उसके पिता से कहा _ हालांकि रिवाज के मुताबिक लोग लड़की वालो से लाखों रुपए का दहेज मांगते है लेकिन मैं इसके उल्टा आपकी बेटी के इलाज हेतु दस लाख रुपए देने की तैयार हूं।आखिर सुनंदा मेरी बहु बनने वाली हैं।
उसका ऑपरेशन करवा ले और शादी की तैयारी करे।
सुनंदा के पिता ने कहा _ मैं आपकी भावना का कद्र करता हूं पांडेय जी ।आपकी सोच बहुत ऊंची है ।लेकिन हमलोग उसके लिए आपस कोई रूपया नही ले सकते।
मेरी बेटी बहुत खुद्दार है वो इसके लिए कभी तैयार नहीं होगी।
उसे बताने की क्या जरूरत है। आप उसे यह नहीं बताएं कि ऑपरेशन के लिए पैसा मैं दे रहा हूं ।पांडेय जी ने कहा।
यही तो मुश्किल है मैं उसकी मर्जी के बिना ऐसा नही कर सकता ।एक दिन जब उसे सच्चाई पता चलेगी वो बहुत दुखी होगी ,सुनंदा के पिता ने पाण्डेय जी का प्रस्ताव को इनकार करते हुए कहा।
समय पंख लगाकर उड़ता गया। सुनंदा,राखी और प्रवेश अपनी सारी परीक्षा पास करते गए और एक दिन उन्हें एल एल बी की डिग्री मिल गई। तीनों की खुशी का ठिकाना नहीं था।
उस दिन उनके कॉलेज में कैम्पस प्लेसमेंट का सेकेसन होना था ।सभी पास छात्र छात्राएं और कई लॉ फॉर्म की कंपनिया और कई उद्योग पतियों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।कोई उन्हे अपनी फॉर्म में वकील के रूप में सेलेक्ट करना चाहता था और कोई उन्हे अपना लीगल एडवाइजर नियुक्त करना चाहता था।
सुनंदा , राखी और प्रवेश तीनो अलग अलग फॉर्मो में चयन कर लिए गए ।तीनो को तीस तीस लाख सालाना पैकेज की सेलरी तय हुई । सुनंदा को तो उम्मीद ही नही थी ।उसकी खुशी का अपार नही था।उसने भगवान को धन्यवाद दिया।
उधर राहुल भी आई ए एस की परिक्षा पास कर गया ।उसका रेंक बहुत अच्छा आया था ।उसे प्रशासनिक पदाधिकारी के रूप में प्रशिक्षण हेतु सेलरी सहित भेजा गया।
प्रशिक्षण के बाद उसकी पहली पोस्टिंग एसडीएम के रूप में उसके जिला के एक सबडिवीजन में हुई।उसे बताया अगर इस पद पर रहते हुए उसने बेहतर कार्य किया तो बहुत जल्दी उसका प्रमोशन करके उसे किसी जिला का डी एम बना दीया जायेगा।
राहुल की मां और उसका पूरा परिवार बहुत खुश हुआ ।जब वो पहली बार अपने घर आया तब उसकी मां ने उसकी आरती उतारी ।
नीलम भी आई ए एस ऑफिसर बन गई थी ।उसकी भी पोस्टिंग प्रशिक्षण में बाद एस डी एम के रूप में हुई थी।वो राहुल से शादी करना चाहती थी।लेकिन राहुल उसे हा या ना कोई जवाब नही दे रहा था।नीलम के पिता एक रिटायर्ड आई ए एस ऑफिसर थे।
उसने अपने पिता को राहुल के घर भेजा अपने विवाह की बात करने के लिए।उनसे मिलकर उसकी मां बहुत खुश हुई और बोली अगर मेरा बेटा तैयार है तो मुझे कोई आपत्ती नही है।आखिर दोनो साथ साथ दिल्ली में पढ़ाई किए हैं।एक दूसरे को अच्छी तरह जानते पहचानते हैं ।आपकी बेटी भी एस डी एम है ।यह तो और भी अच्छी बात हुई।
लेकिन राहुल ने कहा _ मां मुझे थोड़ा समय दो ।अभी तो पोस्टिंग हुई है।पहले एक प्रमोसन मिल जाए फिर शादी के बारे में सोचेंगे।
उसकी बहन लवली ने धीरे से उसके कान में कहा _ लेकिन मां तुम तो सुनंदा भाभी से भईया की शादी करना चाहती थी न।
चुप कर उस धोखेबाज लडकी का नाम मत ले ।उसने उसे डांटते हुए कहा ।
सुनंदा की मां पूरे मोहल्ले में अपनी बेटी की नौकरी लगने की खुशी में मिठाई बांट रही थी ।उसके पिता भी बहुत खुश थे ।
सुनंदा की मां ने राखी और सुनंदा दोनो की आरती उतारी और आशीर्वाद दिया।
बबिता किन्नर भी अपने दल बल के साथ पहुंच गई और सुनंदा के पास होने और नौकरी मिलने की खुशी में जम कर नाची ।सुनंदा की मां ने उन सबको भी खूब मिठाई खिलाई और सुनंदा के साथ राखी की बलाइया लेकर बबिता को तीन हजार रूपए नेग के रूप ने दिया। बबिता ने दोनो को खूब आशीर्वाद दिया ।
दोनो को एक महीने के भीतर अपनी अपनी कंपनी में ज्वाइनिंग लेनी थी ।
एक दिन सुनंदा ने प्रवेश को पार्क में अकेले आने को कहा ।जब वो आया उसने कहा _ प्रवेश इसमें कोई शक नही है की तुम एक अच्छे लड़के हो ।तुम्हारी सोच बहुत ऊंची है ।तुम हमेसा जरूरत मंद लोगो की मदद करने में आगे रहते हो ।
यह बात मैंने बाद में समझी जबकि तुम हमेशा मेरा ख्याल रखते थे ।मैं तुम्हे अपना दोस्त समझती हूं।लेकिन तुमसे विवाह नही कर सकती और न ही विवाह ही कर सकती हूं।
क्योंकि मैं एक राहुल नाम के लड़के के साथ अपने कॉलेज के समय से ही प्यार करती हूं।ये बात अलग है अभी हम दोनो में बातचीत बंद है।लेकिन मेरा दिल अब भी उसे ही चाहता है।
ये तुम क्या कह रही हो सुनंदा ।यह सब तुमने पहले क्यों नही कहा ।प्रवेश ने आश्चर्य से पूछा।
क्योंकि मैं तुम्हे दुखी नही करना चाहती थी।
अगर तुम मुझे सचमुच बहुत प्यार करते हो तो क्या मेरी एक बात मानोगे तुम ।सुनंदा ने गंभीर हो कर कहा।
इसमें कोई शक नही है सुनंदा तुम चाहो तो मुझे आजमा सकती हो।प्रवेश ने कहा ।
मुझे पता है तुम सच कह रहे हो ।इसलिए आज मैने तुम्हे यहां अकेले बुलाया है।
सुनंदा ने कहा ।
बोलो तुम मेरी जान भी मांगोगी तो मैं दे दूंगा प्रवेश ने कहा।
नही तुम शुभ शुभ बोलो ।बस एक तुमसे अनुरोध कर रही हूं।
सुनंदा की मां पूरे मोहल्ले में अपनी बेटी की नौकरी लगने की खुशी में मिठाई बांट रही थी ।उसके पिता भी बहुत खुश थे ।
सुनंदा की मां ने राखी और सुनंदा दोनो की आरती उतारी और आशीर्वाद दिया।
बबिता किन्नर भी अपने दल बल के साथ पहुंच गई और सुनंदा के पास होने और नौकरी मिलने की खुशी में जम कर नाची ।सुनंदा की मां ने उन सबको भी खूब मिठाई खिलाई और सुनंदा के साथ राखी की बलाइया लेकर बबिता को तीन हजार रूपए नेग के रूप ने दिया। बबिता ने दोनो को खूब आशीर्वाद दिया ।
दोनो को एक महीने के भीतर अपनी अपनी कंपनी में ज्वाइनिंग लेनी थी ।
एक दिन सुनंदा ने प्रवेश को पार्क में अकेले आने को कहा ।जब वो आया उसने कहा _ प्रवेश इसमें कोई शक नही है की तुम एक अच्छे लड़के हो ।तुम्हारी सोच बहुत ऊंची है ।तुम हमेसा जरूरत मंद लोगो की मदद करने में आगे रहते हो ।
यह बात मैंने बाद में समझी जबकि तुम हमेशा मेरा ख्याल रखते थे ।मैं तुम्हे अपना दोस्त समझती हूं।लेकिन तुमसे विवाह नही कर सकती और न ही विवाह ही कर सकती हूं।
क्योंकि मैं एक राहुल नाम के लड़के के साथ अपने कॉलेज के समय से ही प्यार करती हूं।ये बात अलग है अभी हम दोनो में बातचीत बंद है।लेकिन मेरा दिल अब भी उसे ही चाहता है।
ये तुम क्या कह रही हो सुनंदा ।यह सब तुमने पहले क्यों नही कहा ।प्रवेश ने आश्चर्य से पूछा।
क्योंकि मैं तुम्हे दुखी नही करना चाहती थी।
अगर तुम मुझे सचमुच बहुत प्यार करते हो तो क्या मेरी एक बात मानोगे तुम ।सुनंदा ने गंभीर हो कर कहा।
इसमें कोई शक नही है सुनंदा तुम चाहो तो मुझे आजमा सकती हो।प्रवेश ने कहा ।
मुझे पता है तुम सच कह रहे हो ।इसलिए आज मैने तुम्हे यहां अकेले बुलाया है।
सुनंदा ने कहा ।
बोलो तुम मेरी जान भी मांगोगी तो मैं दे दूंगा प्रवेश ने कहा।
नही तुम शुभ शुभ बोलो ।बस एक तुमसे अनुरोध कर रही हूं।
मेरी सहेली राखी बिन मां बाप की अपने चाचा चाची के यहां रहकर पढ़ रही थी ।अपनी पढ़ाई का खर्चा उसने अपने हिस्से की जमीन बेचकर की है ।वो मेरी सहेली ही नहीं मेरी जान है ।उसने मेरे लिए बहुत कुछ किया है जैसे तुमने किया है।
हमारी दोस्ती और रिश्ता आगे भी बना रहे इसलिए मैं चाहती हूं तुम मेरे प्यार की खातिर उससे विवाह कर लो ।हालांकि अब उसकी भी नौकरी लग गई ।कोई भी लड़का उससे विवाह करने को तैयार हो जाएगा। सुनंदा ने उसके सामने आने हाथ जुड़ते हुए आगे कहा _ लेकिन मुझे तुम पर और तुम्हारे पिता पर पूरा भरोसा है।तुम्हारे साथ वो काफी सुरक्षित और सुखी रहेगी ।
सुनंदा की बात सुनकर प्रवेश हैरत में पड़ गया ।ये तुम क्या कह रही हो सुनंदा।मैने कभी राखी को इस नजर से नहीं देखा और तुम उससे विवाह करने बोल रही हो ।ये कैसे हो सकता है।
मैने तुमसे प्यार किया है।
लेकिन मैं तुमसे प्यार नहीं कर सकती प्रवेश ।ऐसे में बोलो मैं तुमसे कैसे विवाह कर सकती हूं।प्लीज मेरी बात मान लो मेरी खुशी के लिए। सुनंदा ने उसे मनाने की कोशिश करती हुई बोली।
तुमने मुझे धर्म संकट में डाल दीया है सुनंदा ।मुझे सोचने का थोड़ा समय दो। मेरा पहला और आखिरी प्यार हो तुम मैं तुम्हारी बात को इनकार भी नही करना चाहता ।प्रवेश ने दुखी मन से कहा।
तभी वहा सामने से राहुल आता नजर आया।उसने एक अजनबी लड़के ने साथ सुनंदा को देखकर बहुत आश्चर्य हुआ और जलन भी । वो वहा से ।। मुड़कर वापस जाना चाहता था लेकिन उसे सुनंदा से बात करनी थी ।इसलिए उसकी तरफ बढ़ने लगा।
उसने राखी से पता लगा लिया था वो अभी पार्क में मिलेगी।
उसने फूल के गुलदस्ते को अपने पीठ के पीछे छिपा रखा था ।

शेष अगले भाग _ 23 में 

लेखक _ श्याम कुंवर भारती
बोकारो, झारखंड
Mo.9955509286



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1 Comments

Mohammed urooj khan

04-Nov-2023 12:48 PM

👍👍👍

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